Shani Chalisa (शनि चालीसा)

शनिदेव को प्रसन्न करने तथा उनकी कृपा पाने के लिए लोग कई प्रकार के कार्य करते हैं। कई लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाते हैं, इससे माना जाता है कि शनिदेव बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं, साथ ही साथ कहा जाता है कि दान दक्षिणा करने से भी शनि देव बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं। इसी के साथ लोग शनिदेव के मंदिर जाकर भी शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिदेव की पूजा करते हैं। लेकिन एक और सबसे आसान तरीका है जिससे आप आसानी से शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं। वह है shani chalisa। जी हां शनि चालीसा का पाठ करके आप शनिदेव को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं, क्योंकि शनि चालीसा में शनि देव के बारे में कई सारी बातें लिखी होती है जिसका अगर आप पाठ करते हैं तो उससे शनिदेव बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं, और आप पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। तो इसलिए अगर आप चाहे तो shani chalisa का पाठ शनि देव के मंदिर जाकर या फिर पीपल पेड़ के नीचे बैठकर शनिदेव को ध्यान में रखकर चालीसा का पाठ कर सकते हैं। दोनों तरीके से आप चालीसा का पाठ करके शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं।

शनि चालीसा

॥दोहा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्ो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गतिमति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवाय तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजीमीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देवलखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

॥दोहा॥

पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

॥ इति शनि चालीसा समाप्त ॥

Shani Chalisa in English

ll Doha ll

Jai Ganesh Girija Suwan, Mangal Karan Krupaal.
Deenan Ke Dhuk Dhoor Kari, Kheejai Naath Nihaal.

Jai Jai Sri Shanidev Prabhu, Sunahu Vinay Maharaaj.
Karahu Krupa Hey Ravi Thanay, Rakhahu Jan Ki Laaj.

॥Chaupai॥

Jayathi Jayathi Shani Dayaala.
Karath Sadha Bhakthan Prathipaala.
Chaari Bhuja, Thanu Shyam Viraajai.
Maathey Rathan Mukut Chavi Chaajai.

Param Vishaal Manohar Bhaala.
Tedi Dhrishti Bhrukuti Vikraala.
Kundal Shravan Chamaacham Chamke.
Hiye Maal Mukthan Mani Dhamkai.

Kar Me Gadha Thrishul Kutaara.
Pal Bich Karai Arihi Samhaara.
Pinghal, Krishno, Chaaya, Nandhan.
Yum, Konasth, Raudra, Dhuk Bhamjan.

Sauri, Mandh Shani, Dhasha Naama.
Bhanu Puthra Poojhin Sab Kaama.
Jaapar Prabu Prasan Havain Jhaahin.
Rakhhun Raav Karai Shan Maahin.

Parvathhu Thrun Hoi Nihaarath.
Thrunhu Ko Parvath Kari Daarath.
Raaj Milath Ban Raamhin Dheenhyo.
Kaikeyihu Ki Mathi Hari Linhiyo.

Banhu Mae Mrug Kapat Dhikaayi.
Maathu Janki Gayi Churaayi.
Lashanhin Shakthi Vikal Kari Daara.
Machiga Dhal Mae Haahaakaar.

Raavan Ki Ghathi-Mathi Bauraayi.
Ramchandra Soan Bair Badaayi.
Dhiyo Keet Kari Kanchan Lanka.
Baji Bajarang Beer Ki Danka.

Nrup Vikram Par Thuhin Pagu Dhaara.
Chitra Mayur Nigli Gai Haara.
Haar Naulakka Laagyo Chori.
Haath Pair Darvaayo Thori.

Bhaari Dhasha Nikrusht Dhikaayo.
Thelhin Ghar Kholhu Chalvaayo.
Vinay Raag Dheepak Mah Khinhayo.
Thab Prasann Prabhu Hvai Sukh Dheenhayo.

Harishchandrahun Nrup Naari Bhikani.
Aaphun Bharen Dome Gar Paani.
Thai nal par dasha sirani.
Bhunji-Meen Koodh Gayi Paani.

Sri Shankarhin Gahyo Jab Jaayi.
Paarvathi Ko Sathi Karaayi.
Thanik Vilokath Hi Kari Reesa.
Nabh Udi Gayo Gaurisuth Seesa.

Paandav Par Bhay Dasha Thumhaari.
Bachi Draupadhi Hothi Udhaari.
Kaurav Ke Bi Gathi Mathi Maaryo.
Yudh Mahabharath Kari Daryo.

Ravi Kah Mukh Mahn Dhari Thathkala,
Lekar Koodhi Paryo Paathaala.
Sesh Dhev-Lakhi Vinthi Laayi.
Ravi Ko Mukh Thay Dhiyo Chudaayi.

Vaahan Prabhu Kay Sath Sujana.
Juj Dhigaj Gadharbh Mrugh Swaana.
Jambuk Sinh Aadhi Nakh Dhari.
So Phal Jyothish Kahath Pukari.

Gaj Vahan Lakshmi Gruha Aavai.
Hay Thay Sukh Sampathi Upjaavai.
Gadharbh Haani Karai Bahu Kaaja.
Sinha Sidhkar Raaj Samaja.

Jhambuk Budhi Nasht Kar Darai.
Mrug Dhe Kasht Praan Samharai.
Jab Aavahi Prabu Svan Savaari.
Choru Aaadhi Hoy Dar Bhaari.

Thaishi Chaari Charan Yuh Naama.
Swarn Laoh Chaandhi Aru Thama.
Lauh Charan Par Jab Prabu Aavain.
Daan Jan Sampathi Nashta Karavain.

Samatha Thaamra Rajath Shubhkari.
Swarn Sarva Sarva Sukh Mangal Bhaari.
Jo Yuh Shani Charithra Nith Gavai.
Kabahu Na Dasha Nikrushta Sathavai.

Adhbuth Nath Dhikavain Leela.
Karain Shatru Kay Nashi Bhali Deela.
Jo Pundith Suyogya Bulvaayi.
Vidhvath Shani Gruha Shanthi Karayi.

Peepal Jal Shani Diwas Chadavath.
Deep Dhaan Dhai Bahu Sukh Pawath.
Kahath Raam Sundhar Prabu Dhasa.
Shani Sumirath Sukh Hoth Prakasha.

ll Doha ll

Path Shanishchar Dev Ko, Ki Ho Bhakt Taiyaar.
Karat Path Chalis Din, Ho Bhavasaagar Paar.

ll Iti Shani Chalisa Ends ll

शनि देव कौन हैं?

चलिए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि शनि देव कौन है। असल में शनि देव सूर्य देव एवं छाया के पुत्र हैं और इन्हें न्याय के देवता के नाम से जाना जाता है, और इनकी सवारी गिद्ध है। इनके पत्नी के श्राप के वजह से ही इन्हें क्रूर ग्रह माना जाता है, और यही सिर्फ एक ऐसे देवता है जिनकी पूजा लोग श्रद्धा से नहीं बल्कि डर से करते हैं। इसका कारण यह है कि शनि देव को न्यायाधीश का पद प्राप्त है, और शनिदेव लोगों को उनके कर्म के हिसाब से फल प्रदान करते हैं। अगर कोई बुरा कर्म करता है तो शनिदेव उससे नाराज जाते हैं और उस मनुष्य को अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जिस व्यक्ति ने शनिदेव को प्रसन्न कर लिया, उसके सारे बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। वह मनुष्य हर क्षेत्र में तरक्की करने लगता है।

शनिदेव को प्रसन्न करने से क्या होता है

जिस व्यक्ति से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, उस व्यक्ति की हर मनोकामना शनिदेव पूर्ण करते हैं, साथ ही साथ वह व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। इतना ही नहीं अगर किसी की कुंडली में शनि दोष होता है तो शनिदेव को प्रसन्न करने से उसे उस दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस तरह से शनिदेव को प्रसन्न करने से आपको बहुत ज्यादा फायदे होते हैं। इसलिए आपको शनि चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए, और अगर आप रोज शनि चालीसा का पाठ नहीं कर सकते, तो आपको कम से कम हर शनिवार शनिवार को shani चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

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अगर आप भी शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनिदेव की पूजा के साथ-साथ शनि चालीसा का पाठ कर सकते हैं।