Shitla Chalisa (श्री शीतला चालीसा)

क्या आप अपने घर में या फिर शीतला माता के मंदिर जाकर शीतला माता की पूजा करते हैं? और अगर करते होंगे तो आपको जरूर शीतला माता की पूजा करने के महत्व के बारे में पता ही होगा। शीतला माता के पर्व को बांसोडा के नाम से जाना जाता है, तो इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। इस दिन अगर आप Shitla Chalisa का पाठ करते हुए उनकी पूजा करते हैं, तो शीतला माता बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होती है। और आपको और आपके पूरे परिवार को अपना आशीर्वाद प्रदान करती है। तो इसलिए आप चाहे तो इस दिन Shitla Chalisa का नियमित पाठ करके शीतला माता को प्रसन्न कर सकते हैं।

श्री शीतला चालीसा

॥ दोहा ॥

जय जय माता शीतला तुमही धरे जो ध्यान। होय बिमल शीतल हृदय विकसे बुद्धी बल ज्ञान।।
घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार। शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार।।

॥ चौपाई ॥

जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।
गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।
विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा।।
मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा।।

शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी।।
सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै।।
चौसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै।।
नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै।।

धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी।।
ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।
हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।
हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।

तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।
विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।
बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।
अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।

पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।
अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।
श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।
कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।

विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।
तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।
तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।
नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।

नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।
श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।
मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।
राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।

सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।
कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।
हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।
निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।

कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।
बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।
सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।
या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।

कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।
ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।
अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।
बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।

यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय। सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।
बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू। जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।

॥ इतिश्री शीतला माता चालीसा समाप्त॥

Shri Shitla Chalisa in English

॥ Doha ॥

Jai-Jai Mata Shitala, Tumahin Dharai Jo Dhyana,
Hoya Vimal Shital Hridaya, Vikasai Buddhi Balagyana॥

॥ Chaupai॥

Jai-Jai-Jai Shree Shitala Bhawani, Jai Jaga Janani Sakala Gunakhani॥
Griha-Griha Shakti Tumhari Rajita, Purana Sharadachandra Samasajita॥
Visphotaka Se Jalata Sharira, Shital Karata Harata Saba Pira॥
Matu Shitala Tava Shubhanama, Sabake Gadhen Avahin Kama॥

Shokahari Shankari Bhawani, Bala-Pranaakshari Sukha Dani॥
Shuchi Marjani Kalasha Kararajai, Mastaka Teja Surya Samarajai॥
Chausatha Yogina Sanga Me Gavain, Vinaa Tala Mridanga Bajavai॥
Nritya Naatha Bhairo Dikhalaavain, Sahaja Shesha Shiva Paara Na Paavain॥

Dhanya-Dhanya Dhaatri Mahaarani, Suranara Muni Taba Suyasha Bakhaani॥
Jwaala Rupa Maha Balakaari, Daitya Eka Visphotaka Bhaari॥
Ghar-Ghar Pravishata Koi Na Rakshata, Roga Rupa Dhari Balaka Bhakshata॥
Hahakara Machyo Jagabhari, Sakyo Na Jaba Sankata Taari॥

Taba Maiya Dhari Adbhuta Rupa, Karamen Liye Maarjani Supa॥
Visphotakahin Pakadin Kar Linhyo, Musala Prahara Bahuvidhi Kinhyo॥
Bahuta Prakaara Vaha Vinati Kinha, Maiya Nahin Bhala Main Kachhu Kinha॥
Abanahin Matu, Kahugriha Jaihaun, Jahan Apavitra Vahi Ghar Rahihaun ॥

Bhabhakata Tana, Shital Hvai Jaihain, Visphotaka Bhayaghora Nasaihain॥
Shri Shitalahin Bhaje Kalyaanaa, Vachana Satya Bhashe Bhagawana॥
Visphotaka Bhaya Jihi Griha Bhai, Bhajai Devi Kahan Yahi Upai॥
Kalasha Shitala Ka Sajavaavai, Dwija Se Vidhiwata Patha Karaavai॥

Tumhin Shitala, Jaga Ki Mata, Tumhin Pita Jaga Ki Sukhadata॥
Tumhin Jagaddhatri Sukhasevi, Namo Namami Shitale Devi॥
Namo Sukkhakarani Dukhaharani, Namo-Namo Jagatarani Dharani॥
Namo-Namo Trailokya Vandini, Dukhadaridradika Nikandini॥

Shri Shitala, Shedhala, Mahala, Runalihyunani Matu Mandala॥
Ho Tuma Digambara Tanudhari, Shobhita Panchanama Asawari॥
Rasabha, Khara Baishakha Sunandana, Gardabha Durvakanda Nikandana॥
Sumirata Sanga Shitala Maai, Jahi Sakala Dukha Dura Paraai॥

Galakaa, Galagandadi Juhoi, Taakara Mantra Na Aushadhi Koi॥
Eka Matu Ji Ka Aaraadhanaa, Aura Nahin Koi Hai Saadhanaa॥
Nishchaya Matu Sharana Jo Aavai, Nirbhaya Man Ichchhita Phala Paavai॥
Kodhi, Nirmala Kaya Dharai, Andha, Driga-Nija Drishti Niharai॥

Vandhya Nari Putra Ko Paavai, Janma Daridra Dhani Hoi Jaavai॥
Matu Shitala Ke Guna Gaavata, Lakhaa Muka Ko Chhanda Banawata॥
Yaame Koi Karai Jani Shanka, Jaga Me Maiya Ka Hi Dankaa॥
Bhagata Kamal Prabhudasa, Tat Prayaga Se Puraba Pasa॥

Gram Tiwari Pur Mam Baasaa, Kakara Ganga Tat Durvasa॥
Aba Vilamba Main Tohi Pukaarata, Matu Kripa Kau Baata Nihaarata॥
Pada Dwaara Saba Aasa Lagaai, Ab Sudhi Let Shitala Maai॥

॥ Doha ॥

Ghat-Ghat Vasi Shitala, Shital Prabha Tumhara,
Shital Chhaiyan Me Jhulai, Maiya Palana Dara॥

।। Iti Shitala Chalisa Ends ।।

शीतला माता कौन है (Shitla Chalisa)

शीतला माता हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है। इन्हें चेचक आदि रोगों की देवी भी कहा जाता है, और कहा जाता है कि अगर आप इनकी आराधना करते हैं, और इन्हें प्रसन्न करते हैं, तो कभी भी आदमी को चेचक रोग नहीं होता है। शीतला माता अपने हाथ में चार चीजें धारण करती हैं। पहला झाड़ू, दूसरा सूप, तीसरा कलश, और चौथा नीम के पत्ते, और इन सभी का संबंध चेचक रोग को ठीक करने से ही है। तो अगर आप भी शीतला माता को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना या फिर शीतला चालीसा का पाठ करते हैं, तो इससे आपको बहुत ही अच्छा फल मिलता है, तथा आपको विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्म में शीतला माता के पर्व को बांसोडा नाम से जाना जाता है, इस दिन के एक दिन पहले शीतला माता का भोग बनाया जाता है, तथा अगले दिन बासी भोग शीतला माता को लगाया जाता है। तथा उस दिन घर में भी ठंडा खाना ही खाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सकारात्मक शक्ति बनी रहती है, तथा घर के लोगों को रोगों से मुक्ति मिलती है।

चेचक रोग से मुक्ति कैसे मिलती है?

तो जैसा कि हमने आपको बताया कि शीतला मां को चेचक रोग की देवी भी कहा जाता है, हमने आपको यह भी बताया कि शीतला माता अपने हाथों में चार चीजें धारण करती है। तो हमको बता दे उन चार चीजों की मदद से ही चेचक रोग से मुक्ति मिलती है। मान्यता के अनुसार शीतला माता के हाथ में जो कलश है उस कलश के जल से रोगी को ठंडक पहुंचती है, साथ ही साथ सुप की मदद से रोगी को हवा किया जाता है ताकि उसे ठंडक पहुंचे। साथ ही साथ झाड़ू का संबंध चेचक को खत्म करने से है, जिसमें कि चेचक को झाड़ू की मदद से चेचक को फोड़ा जाता है, उसके बाद नीम के पत्ते उसे सड़ने से बचाते हैं। इस तरह मान्यता है कि इन्हीं सभी चीजों की वजह से शीतला माता की कृपा से रोगी को चेचक से मुक्ति मिलती है।

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अगर आप ही शीतला माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको शीतला चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। ताकि आपको भी चेचक जैसे रोगों से मुक्ति मिले और आपको उनकी कृपा प्राप्त हो।