माँ काली चालीसा | Kali Chalisa

माँ काली का रूद्र रूप जितना प्रचलित है उतना ही इनका ममताई रूप भी।  काली माता बहुत ही करुणामयी है ये अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करती है लेकिन अगर इनको क्रोध आता है तो ये अपने शत्रुओं का रूद्र रूप लेकर सर्वनाश कर देती है। इसीलिए जब भी किसी का कोई कम नहीं होता है तो वह काली माता की ही शरण में आता है।  देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है और Maa Kali Chalisa का पाठ किया जाता है।  काली माता दुर्गा देवी का सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है।  माँ काली का वाहन वृषभ तथा गदर्भ है।  ये इसी की सवारी करते है।  हिन्दू पुराणों के अनुसार माँ काली भगवान शिव की चौथी पत्नी है।  इनकी पूजा करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।  तो चलिए जानते है काली चालीसा पाठ कैसे करना चाहिए।  

माँ काली चालीसा

॥ दोहा ॥

जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका , देहु अभय अपार ॥

॥ चौपाई ॥

रि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥

चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता । जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी । निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥

महशक्ति अति प्रबल पुनीता । तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक । कल्याणी पापी कुल घालक ॥
शेष सुरेश न पावत पारा । गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा । विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥

रूप भयंकर जब तुम धारा । दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे । भक्तजनों के संकट टारे ॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी । भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं । नारद शारद पार न पावैं ॥

भू पर भार बढ्यौ जब भारी । तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता । विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥

कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी । चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
त्रेता में रघुवर हित आई । दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला । भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥

रौद्र रूप लखि दानव भागे । कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
ये बालक लखि शंकर आए । राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई । यही रूप प्रचलित है माई ॥

बाढ्यो महिषासुर मद भारी । पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की । पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
तब प्रगटी निज सैन समेता । नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥

मान मथनहारी खल दल के । सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा । पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
संकट में जो सुमिरन करहीं । उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं । भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥

काली चालीसा जो पढ़हीं । स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
करहु मातु भक्तन रखवाली । जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी । भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥

॥ दोहा ॥

प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥

Kali Chalisa in English

॥ Doha ॥

Vishveshvar Padpadam Ki Raj Nij Shish Lagay.
Annapurne Tav Suyash Baranau Kavi Matilay.

॥ Chaupai ॥

Nitya Anand Karini Mata, Var Aru Abhay Bhav Prakhyata.
Jay! Soundary Sindhu Jag Janani, Akhil Pap Har Bhav-Bhay Harani.

Shvet Badan Par Shvet Basan Puni, Santan Tuv Pad Sevat Rishimuni.
Kashi Puradhishvari Mata, Maheshvari Sakal Jag Trata.

Vrishbharudh Nam Rudrani, Vishva Viharini Jay! Kalyani.
Patidevata Sutit Shiromani, Padavi Prapt Kinh Giri Nandini.

Pati Vichhoh Dukh Sahi Nahi Pava, Yog Agni Tab Badan Jarava.
Deh Tajat Shiv Charan Sanehu, Rakhehu Jat Himgiri Gehu.

Prakati Girija Nam Dharayo, Ati Anand Bhavan Manh Chhayo.
Narad Ne Tab Tohin Bharamayahu, Byah Karan Hit Path Padhayahu.

Brahma Varun Kuber Ganaye, Devaraj Adik Kahi Gaye.
Sab Devan Ko Sujas Bakhani, Mati Palatan Ki Man Manh Thani.

Achal Rahi Tum Pran Par Dhanya, Kihani Siddh HImachal Kanya.
Nij Kau Tab Narad Ghabaraye, Tab Pran Puran Mantra Padhaye.

Karan Hetu Tap Tohi Upadesheu, Sant Bachan Tum Satya Parekhehu.
Gagangira Suni Tari Na Tare, Brahma Tav Tuv Pas Padhare.

Kaheu Putri Var Mangu Anupa, Dehun Aj Tuv Mati Anurupa.
Tum Tap Kinh Alaukik Bhari, Kasht Uthayahu Ati Sukumari.

Ab Sandeh Chhadi Kacchu Moson, Hai Saugandh Nahi Chhal Toson.
Karat Ved Vid Brahma Janahu, Vachan Mor Yah Sancha Manahu.

Taji Sankoch Kahahu Nij Ichchha, Dehon Mai Manmani Bhiksha.
Suni Brahma Ki Madhuri Bani, Mukh Son Kachhu Musukaye Bhavani.

Boli Tum Ka Kahahu Vidhata, Tum To Jag Ke Srashtadhata.
Mam Kamana Gupt Nahin Toson, Kahvava Chahahu Ka Moson.

Daksh Yagya Mahn Marati Bara, Shambunath Puni Hohin Hamara.
So Ab Milahin Mohin Manbhaye, Kahi Tathastu Vidhi Dham Sidhaye.

Tab Girija Shanker Tav Bhayau, Phal Kamana Sanshayo Gayau.
Chanderkoti Ravi Koti Prakasha, Tab Anan Mahn Karat Nivasa.

Mala Pustak Ankush Sohe, Kar Mahn Apar Pash Man Mohen.
Annapurne! Sadapurne, Aj Anvagh Anant Purne.

Kripa Sagari Kshemkari Man, Bhav Vibhuti Anand Bhari Man.
Kamal Vilochan Vilasit Bhale, Devi Kalike Chandi Karale.

Tum Kailash Mahin Hai Girija, Vilasi Anand Sath Sindhuja.
Svarag Mahalakshmi Kahalayi, Martya Lok Lakshmi Padapayi.

Vilasi Sab Mahn Sarv Sarupa, Sevat Tohin Amar Pur Bhupa.
Jo Padhihhi Yah Tav Chalisa, Phal Pahin Shubh Sakhi Eesha.

Prat Samay Jo Jan Man Layo, Padhihahin Bhakti Suruchi Adhikayo.
Stri Kalatr Pati Mitr Putr Yut, Paramaishravarya Labh Lahi Adhabhut.

Raj Vimukh Ko Raj Divave, Jas Tero Jan Sujas Badhavei.
Path Maha Mud Mangal Data, Bhakt Manovanchhit Nidhi Pata.

॥Doha ॥

Jo Yeh Chalisa Subhag, Padhi Naveinge Math.
Tinake Karaj Siddh Sab, Sakhi Kashinath.

॥ Iti Ma Annapurna Chalisa Ends॥

आखिर माँ काली ने रक्त क्यों पिया था?

इस कथा का वर्णन हिन्दू ग्रन्थ में किया हुआ है। जब कैलाश पर्वत पर राक्षसों ने हमला किया तो उनमे चंड, मुंड और रक्तबीज बहुत ही शक्तिशाली राक्षस थे। माँ पार्वती ने इन सबका तो वध कर दिया था लेकिन रक्तबीज नाम का राक्षस मर नहीं रहा था क्यूंकि माँ पार्वती जैसे ही उस पर हमला करती तो उसके खून की बूंद से एक और राक्षस पैदा हो जाता था। इस कारण की वजह से माँ पार्वती ने काली माँ का रूप धारण किया और रक्तबीज का सारा रक्त पी लिया। इस तरह रक्तबीज का विनाश हुआ था और माँ काली को रक्त पीना पड़ा था।

माँ काली चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ होते है?

  • सच्चे मन से काली चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
  • सभी सुखो की प्राप्ति होती है।
  • कितना ही शक्तिशाली शत्रु हो, सभी का नाश होते है।
  • अगर कोई काम नहीं होता है या फिर कही अटक रहा है तो जल्द ही पूरा होता है।
  • पुरानी से पुरानी बीमारी ठीक हो जाती है।
  • घर, व्यापार में कोई तनाव या चिंता चल रही है तो वो सब खत्म हो जाती है।
  • किसी ने अगर कोई जादू, टोना, टोटका करवा रखा है तो वो सब खत्म हो जाता है।
  • घर में नकारत्मक एनर्जी खत्म होकर सकारत्मक एनर्जी फैलती है।
  • मन से हर प्रकार का भय खत्म होता है।
  • हर क्षेत्र में तरक्की मिलती है।

काली चालीसा के पाठ करने के क्या नियम है?

जो भी काली चालीसा का पाठ करना चाहता है पहले उसे नीचे दिए गए नियम पढ़ने चाहिए क्यूंकि अच्छे फल प्राप्त करने के लिए पाठ सही तरीके से करना बहुत जरुरी है।

  • Maa Kali Chalisa का पाठ करने के लिए शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना गया है।
  • माँ काली की पूजा दो तरह से होती है। एक तांत्रिक पूजा और एक सामन्य पूजा।
  • सामन्य पूजा खुद अपने तरीके से होती है और तांत्रिक पूजा गुरु की शरण में होती है।
  • शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर गुलाबी रंग के कपड़े धारण करे।
  • अब माँ काली की तस्वीर के आगे दिया जलाएं और dhoop लगाएं।
  • उन्हें गुलाबी रंग के फूल अर्पित करे।
  • कोई भी काली या लाल रंग की वस्तु भी अर्पित करे।
  • अब माँ काली के आगे अपनी मनोकामना की प्राथना करे।
  • मनोकामना की प्राथना करने के बाद माँ काली चालीसा का पाठ शुरू करे।
  • पाठ खत्म होने के बाद माँ काली का आशीर्वाद ले और अपना काम शुरू करे।

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माँ काली जितनी उदार है उतनी ही क्रोध करने वाली भी। इसीलिए इनकी पूजा पुरे विधि-विधान से करे। पूजा करते समय मन में कोई भी शंका या परेशानी ना रखे। काली देवी आपसे जल्द ही प्रसन्न होगी और आपकी सभी इच्छा पूरी करेंगी।