भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है छप्पन भोग?

जैसा कि आप सब जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को विष्णु भगवान का आठवां अवतार माना गया है। भगवान श्री कृष्ण को हम सभी उनके अलग-अलग नाम से भी जानते हैं। बचपन से लेकर बड़े होने तक उन्हें अनेक नामों से जाना  गया। बाल लीला करने से लेकर, नटखट लीला सहित भगवान श्री कृष्ण का बचपन‌ बडा ही रोचक रहा है।

जहाँ भगवान श्री कृष्ण के द्वारा किए गए कंस के वध से लेकर, कुरुक्षेत्र में मानव के जीवन का गीता का उपदेश देकर एक नई कला सीखने को मिली। जो कि आज घर-घर में कलयुग के सभी मनुष्यों के लिए एक मोक्षदायिनी मार्ग बन चुकी है। गीता के ज्ञान के बारे में हर व्यक्ति जानता है। भगवान श्री कृष्ण के द्वारा रचित भागवत गीता में जीवन जीने के सूत्र दिए गए हैं। जिसे जीवन में अपनाकर मनुष्य अपना जीवन बहुत ही सुखमय बना सकता है।

भगवान श्री कृष्णा बचपन से ही खाने पीने के भी बड़े शौकीन रहे हैं। बचपन में की गई माखन चोर की लीला से लेकर उनके छप्पन भोग के बारे में सभी लोग जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां यशोदा भगवान श्री कृष्ण को आठ पहर भोजन करवाती थी। क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग का भोजन क्यों लगाया जाता है? इसके पीछे की क्या वजह रही होगी? उन सभी के बारे में आपको यह विस्तार पूर्वक हम बताने वाले हैं..

छप्पन भोग लगने की वजह

भगवान श्री कृष्ण की हर लीला के बारे में आप सभी लोग जानते हैं आप जानते हैं कि उनका बचपन गोकुल में बीता है भगवान श्री कृष्ण को उनकी मां यशोदा उनके प्रिय भोजन प्रतिदिन आठ पहर मतलब दिन में आठ बार उनको अपने हाथों से भोजन करवाती थी। भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन में अनेक लीलाएं की है। उन्हें में से एक लीला यह 56 भोग की भी शामिल है। 

एक बार जब सभी गोकुलवासी इंद्र की पूजा करने के लिए पकवान बनाकर ले जाने लगे। तब भगवान श्री कृष्ण ने इसका विरोध किया और उन्होंने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए सभी गोकुल वासियों से आग्रह किया। सभी गोकुल वासियों ने भगवान श्री कृष्ण की इस बात का समर्थन किया क्योंकि गोवर्धन पर्वत पर अनेक प्रकार के खाने की चीज, यहां तक की सभी गोकुल वासियों की गाय भी वहा रोजाना चरने के लिए जाया करती थी।‌ इसीलिए सभी गोकुलवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए चल दिए।

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इससे नाराज होकर इंद्र देवता ने गोकुल पर लगातार बारिश की। भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों की रक्षा हेतु गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। सभी गोकुलवासी उसी पर्वत के नीचे जाकर छुप गए थे। लगातार 7 दिन तक पानी की भयंकर मूसलाधार बारिश की। लेकिन इंद्र का क्रोध शांत नहीं हुआ। सातवें दिन जाकर इंद्र ने अपनी गलती को मान लिया और भगवान श्री कृष्ण से माफी भी मांगी। सभी गोकुल वासियों से भी माफी मांगी। तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा का भी बड़ा महत्व है। 

जब 7 दिन लगातार भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाई रखा तो उन्होंने अन्न का एक दाना अपने मुंह में नहीं लिया था। मां यशोदा को इस बात की बड़ी चिंता हुई और समस्त गोकुल वासियों ने और मां यशोदा ने मिलकर भगवान श्री कृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोजन बनाएं। मां यशोदा भगवान श्री कृष्ण को दिन में आठ पहर भोजन करवाया करती थी। उनके अनुसार 7 दिन तक आठ पहर भजन के अनुसार 56 तरह के भोग भगवान श्री कृष्ण के लिए बनाए गए। तब से लेकर आज तक भगवान श्री कृष्ण को 56 तरह का भोग ही पूजा में लगाया जाता है।

छप्पन भोग की अन्य कथा

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी एक कमल पर गोलोक में विराजमान रहते हैं। कमल के अंदर तीन तरह की परत शामिल हैं। जिनमें 56 पंखुड़ियां हैं उन पंखुड़ियां में से एक प्रमुख सखी मौजूद है और बीच में भगवान श्री कृष्णा विराजमान होते हैं। 56 पंखुड़ियां 56 सखियों का प्रतीक मानी गई है इसीलिए भगवान श्री कृष्ण को 56 तरह का भोग लगाया जाता है।

56 भोग का गणित

क्या आप जानते हैं आखिर छप्पन भोग का गणित क्या होता है? जैसा कि आप सब जानते हैं 6 तरह के स्वाद हम खा सकते हैं जिनमें अमल, नमकीन,‌मीठा,करवा,तीखा, कसैला यह मुख्य छह तरह के स्वाद होते हैं। इस तरह से इन 6 तरह के रसों को मिलाकर भगवान श्री कृष्ण के खाने के लिए 56 प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग ही हम अर्पण करते हैं।‌ जिससे कि भगवान प्रसन्न भी होते हैं और हमारी पूजा भी पूर्ण मानी जाती है।

कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोपियों ने लगाए 56 भोग

श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार एक मान्यता और 56 भोग के लिए बताई गई है। जिसमें बताया है कि भगवान श्री कृष्णा को गोपिया अत्यधिक प्रेम किया करती थी और उन्हें पति रूप में पाने के लिए उन्होंने एक माह तक स्नान आदि करके मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की। ताकि उनको मां कात्यायनी पति रूप में कृष्ण जैसा व्यक्ति प्रदान करें और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनकी इस मनोकामना को पूर्ण किया और उनका व्रत समाप्त होने के बाद उद्यापन स्वरूप सभी गोपिकाओं ने 56 तरह का भोग भगवान श्री कृष्ण को भेंट किया था। तब से छप्पन भोग भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लगाया जाता है। इस प्रकार 56 भोग के लिए श्रीमद् भागवत कथा में कई कथा वर्णित है।

निष्कर्ष

दोस्तों, ये थी भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है छप्पन भोग से जुड़ी कुछ अनोखी और दिलचस्प कथाएं. हम उम्मीद करते है कि ये जानकारी आपको बेहद पसंद आई होगी और आपके लिए काफी लाभदायक भी होगी. ऐसी ही और रोचक जानकारी लेने के लिए हमारे पेज से जुड़े रहे। Follow MyChalisa.com for more!

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