भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार भैरव देव की उत्पत्ति भगवान शिव के रक्त से हुई थी। Shri Bhairav Chalisa का पाठ सच्चे मन से करने वालो के जीवन से हर तरह का संकट दूर रहता है। इसके साथ ही और भी चमत्कारी परिवर्तन जीवन में देखने के लिए मिलते है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे भैरव देव दो तरह के होते है: बटुक भैरव और काल भैरव। हमारे देश में बटुक भैरव का मंदिर लखनऊ में स्तिथ है और काल भैरव के मंदिर उज्जैन और काशी में है। लाखोँ-करोड़ो श्रद्धालु भैरव देव के दर्शन और आशीर्वाद लेने आते है।
भगवान शिव के रूप भैरव बाबा की जो कोई भी उपासना करता है उसके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। यहाँ तक की मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन से भैरव चालीसा का पाठ करे तो मौत के मुंह से भी बचकर आया जा सकता है।
भैरव चालीसा
॥ श्री भैरव चालीसा ॥
श्री गणपति गुरु गौरि पद प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव सङ्कट हरण मङ्गल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥
जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी । जयति काल-भैरव बलकारी ॥
जयति नाथ-भैरव विख्याता । जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥
भैरव रूप कियो शिव धारण । भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुनि ह्वै भय दूरी । सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो । काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटा जूट शिर चन्द्र विराजत । बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घूँघरू बाजत । दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो । कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली । दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भञ्जन । जय मनरञ्जन खल दल भञ्जन ॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा । कृपा कटाक्श सुयश नहिं थोडा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत । अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन । क्रोध कराल लाल दुहुँ लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत सङ्ग डोलत । बं बं बं शिव बं बं बोलत ॥
रुद्रकाय काली के लाला । महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गँभीरा । श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत नीनहूँ रूप प्रकाशा । भरत सुभक्तन कहँ शुभ आशा ॥
रत्न जड़ित कञ्चन सिंहासन । व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं । विश्वनाथ कहँ दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय । जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय । वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महा भीम भीषण शरीर जय । रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय । स्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय । गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय । क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय । कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर । चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत । चौंसठ योगिन सङ्ग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढङ्गा । काशी कोतवाल अड़बङ्गा ॥
देयँ काल भैरव जब सोटा । नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जनकर निर्मल होय शरीरा । मिटै सकल सङ्कट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतोङ्के राजा । बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो । सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा । श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो । सकल कामना पूरण देख्यो ॥
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी सङ्कट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शङ्कर के अवतार ॥
Bhairav Chalisa in english
॥ Doha ॥
Shri ganapati, guru, gauri pada, prema sahita dhari maatha.
Chalisa vandan karaun, shri shiv bhairavanaath.
Shri bhairav sankat haran, mangal karan kripaal.
Shyaam varan vikaraal vapu, lochan laal vishaala.
॥ Chaupai ॥
Jayati jayati shri kaali ke laala, jayati jayati kaashi kutavala.
Jayati ‘batuk bhairav’ bhaya hari, jayati ‘kaal bhairav’ balkari.
Jayati ‘naath bhairav’ vikhyaata, jayati ‘sarva bhairav’ sukhadaata.
Bhairav ruup kiyo shiv dhaaran, bhav ke bhaar utaaran kaaran.
Bhairav rav suni hvai bhay duurii, sab vidhi hoya kaamana puri.
Shesh mahesh aadi guna gaayo, kaashi kotavaal kahalaayo.
Jata jut sir chandra viraajat, baala, mukut, bijaayath saajat.
Kati karadhani ghuungharu baajat, darshan karat sakal bhay bhaajat.
Jiivan daan daas ko diinhyo, kiinhyo kripa naath tab chiinhyo.
Vasi rasana bani saarad kaali, diinhyo var raakhyo mam laali.
Dhanya dhanya bhairav bhay bhanjan, jai manaranjan khal dal bhanjana .
Kar trishul damaru shuchi koda, kripa kataaksh suyash nahin thoda.
Jo bhairav nirbhay gun gaavat, ashtasiddhi nav nidhi phal paavat.
Roop vishaal kathin dukh mochan, krodh karal laal duhun lochan.
Aginat bhut pret sang dolat, bam bam bam shiv bam bam bolat.
Rudrakaaya kaalii ke laala, maha kaalahu ke ho kaala.
Batuk naath ho kaal ganbhiira, shvet, rakt aru shyaam shariira.
Karat tinhun rup prakaasha, bharat subhaktan kahan shubh aasha.
Ratan jadit kanchan sinhaasan, vyaaghr charm shuchi narm suaanan.
Tumahi jaai kaashihin jan dhyaavahin, vishvnath kahan darshan paavahin..
Jaya prabhu sanharak sunand jaya, jaya unnat hara uma nand jaya.
Bhiim trilochan svaan saatha jay, vaijanaath shri jagatanaath jaya.
Maha bhiim bhiishan shariir jaya, rudr trayambaka dhir vir jaya.
Ashvanaath jaya pretanaath jaya, svaanaarudh sri chandra nath jaya
Nimish digambar chakranaath jaya, gahat anaathan naath haath jaya.
Treshalesh bhuutesh chandr jaya, krodh vats amaresh nand jaya.
Shri vaaman nakulesh chand jaya, krityau kiirati prachand jaya.
Rudr batuk krodhesh kaal dhar, chakr tund dash paanivyaala dhar .
Kari mad paan shambhu gunagaavat, chaunsath yogin sang nachaavat.
Karat kripa jan par bahu dhanga, kaashii kotavaal adabanga.
Dey kaal bhairava jaba sota, nasai paap mota se mota.
Janakar nirmal hoy shariira, mite sakal sankat bhav piira.
Shri bhairav bhooton ke raaja, baadha harat karat shubh kaaja.
Ailaadi ke duhkh nivaarayo, sada kripaa kari kaaj samhaarayo .
Sundar daas sahit anuraaga, shri durvaasa nikat prayaaga.
“Shri bhairava ji ki jaya” lekhyo, sakal kaamana puuran dekhyo.
॥Doha ॥
Jai Jai Jai Bhairav Batuk Swami Sankat Taar,
Kripa Daas par kijiye Shankar ke Avataar,
Jo yeh Chalisa Pare prem sahit shat baar,
us ghar sarvanand ho,vaibhav baare apaar.
Jai Sri Bhairavaye namah !!
॥ Iti Bhairav Chalisa Ends॥
क्या है भैरव चालीसा का पाठ करने के फायदे?
- श्री भैरव दिखने में भले ही भयानक दिखते हो, लेकिन जो कोई भी इनकी सच्चे मन से पूजा करता है उसकी रक्षा करने का पूरा भार भैरव भगवान अपने ऊपर ले लेते है।
- जीवन में आई हुई कोई भी विपत्ति चमत्कारी रूप से खत्म हो जाती है।
- घर-परिवार में खुशियाँ आती है. मंगल कार्यो की वृद्धि होती है।
- श्री भैरव चालीसा का सच्चे मन से पाठ करने से अष्ट सिद्धि नौ निधि की प्राप्ति होती है।
- इनके आलावा अगर मन में कोई भी मनोकामना है वो सभी पूरी होती है।
- भैरव चालीसा का पाठ करने से दुश्मन भी दोस्त बन जाते है।
- व्यापार या नौकरी में कोई भी समस्या हो, वो सभी दूर हो जाती है।
और पढ़े > Shri Shiv Chalisa
Shri Bhairav Chalisa का पाठ कैसे करना चाहिए?
- सुबह उठकर सबसे पहले अपना शरीर स्वच्छ करे। स्नान-शौच वगैरह करके साफ़-सुथरे कपड़े पहने।
- अगर आपके घर के नजदीक भैरव बाबा का मंदिर है तो वहाँ पर जाएं।
- अन्यथा अपने घर में ही भैरव बाबा की मूर्ति या फिर तस्वीर लगाएं।
- उनके आगे घी का दीपक जलाएं, और तिलक लगाएं।
- अब भैरव चालीसा का पाठ शुरू करे।
- ध्यान रहे, चालीसा का पाठ करते समय आपके मन में किसी भी प्रकार की चिंता, डर, या शंका नहीं होनी चाहिए।
- सच्चे मन से चालीसा पाठ करे।
- अंत में भैरव बाबा का आशीर्वाद ले।
- इस तरह से पाठ नियमित रूप से करे। भैरव बाबा जल्द ही प्रसन्न होकर आपकी हर मनोकामना पूरी करेंगे।
ये थी Bhairav Chalisa के बारे में कुछ जरुरी जानकारी। हमे आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई होगी और आपके लिए लाभदायक भी होगी।