माता वैष्णो देवी मंदिर, कथा और मान्यता

माता वैष्णो देवी मंदिर देश के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। यह जम्मू में कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है।हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को माता रानी और वैष्णवी के नाम से जानते हैं। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने आते हैं। यहां की मान्यता है कि मां वैष्णो देवी के दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता रानी का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त अपने अनुसार नंगे पैर भवन तक की चढ़ाई करते हैं। चलिए जानते हैं माता रानी की कथा और मान्यताओं के बारे में…

माता वैष्णो देवी कथा

वैष्णो देवी मंदिर पहाड़ की एक चोटी पर बना हुआ हैं। बताया जाता हैं, कि इस मंदिर का निर्माण 700 साल पहले पंडित श्रीधर ने कराया था। पंडित श्रीधर माता रानी के बहुत बड़े भक्त थे। इसी वजह से एक दिन माता उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनके सपने में आई और बोली हे भक्त तुम माता वैष्णो के निमित्त एक भंडारा करो, कहकर माता अंतर्ध्यान हो गई, इसके बाद अगली सुबह पंडित श्रीधर ने इस सपने की बात अपने परिवार वालों को बताई और फिर भंडारे का आयोजन किया।

पंडित श्रीधर बहुत ही गरीब थे। इसलिए वह भंडारे में आए भक्तों की भीड़ को देखकर चिंतित हो गये, बताया जाता है कि उनके इस भंडारे में एक बालिका शामिल थी। जो भक्तों को प्रसाद बांट रही थी वहीं जब किसी भक्त ने बालिका से उसका नाम पूछा तो बालिका ने अपना नाम वैष्णवी बताया, जब तक भंडारा चला वैष्णवी वहां मौजूद रही और फिर अंतर्ध्यान हो गई। जब श्रीधर को वैष्णवी के बारे में पता चला, तो पंडित श्रीधर वैष्णवी से मिलने को व्याकुल हो उठे।  उन्होंने भक्तों से बालिका के बारे में पूछा कि वो बालिका कहां गई?

लेकिन कोई भी  पंडित श्रीधर को वैष्णवी की जानकारी नही दे पाया। पंडित जी बालिका को ढूंढते रहे, लेकिन वह उन्हें कही नहीं मिली। फिर एक रात पंडित जी के सपने में आकर उस बालिका वैष्णवी ने बताया कि वो माता वैष्णवी हैं।  माता ने उन्हें चित्रकूट पर्वत पर स्थित गुफा के बारे में बताया, फिर पंडित श्रीधर ने गुफा ढूंढ कर माता वैष्णो की पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना की। उस वक्त से माता वैष्णो देवी की पूजा आज तक जारी है। बता दे कि आज के वक्त में यही गुफा माता वैष्णो देवी का मंदिर कहलाता है।

माता वैष्णो देवी मंदिर तक कैसे पहुंचे?

माता रानी तक पहुंचने के लिए आपको जम्मू से कटरा शहर तक 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। हालांकि जो लोग पैदल यात्रा में असमर्थ है उनके लिए हेलीपैड भी उपलब्ध है। माता वैष्णो देवी गुफाओं और भैरव घाटी के बीच एक रोपवे  का निर्माण किया गया है। जिससे आप आसानी से भैरवनाथ के दर्शन कर सकते हैं।

अर्धकुमारी मंदिर की मान्यता

अर्धकुमारी मंदिर को गर्भ गुफा के नाम से भी जाना जाता है। इस गुफा को लेकर मान्यता है। कि यहां माता वैष्णो देवी ने पूरे 9 माह तक तपस्या की थी। कहा जाता है कि जो भी भक्त इस गुफा के दर्शन करता है उसे मृत्यु और जीवन के चक्र से मुक्ति मिल जाती हैं। गर्भ गुफा का आकार दिखने में बहुत छोटा हैं लेकिन हर प्रकार का इंसान यहां से आसानी से निकल जाता है। बस उसके मन और दिल में माता रानी की भक्ति हो और किसी के लिए कोई गलत भावना ना हो।

किस रूप में है माता रानी

त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की तीन मूर्तियां हैं। जिसमे पहली मूर्ति काली देवी, दूसरी सरस्वती देवी, और तीसरी लक्ष्मी देवी पिंडी के रूप में गुफा में विराजित है। इन तीनों पिंडियों के रूप को वैष्णो देवी कहा जाता हैं। पवित्र गुफा की लंबाई 98 फिट हैं। इस गुफा में एक बड़ा स्थान बना हुआ हैं। इस स्थान पर माता का आसन है। जहां देवी त्रिकुटा अपनी माता के साथ विराजमान रहती हैं। 

माता रानी ने भैरवनाथ का वध क्यों किया

बताया जाता है कि भैरवनाथ ने कन्या रूपी मां का हाथ पकड़ लिया, लेकिन माता ने अपना हाथ भैरव के हाथ से छुड़ाया, और त्रिकूट पर्वत की ओर चल पड़ी। भैरव उनका पीछा करते हुए उसी स्थान पर आ गया। वहां भैरव का सामना हनुमान जी से हुआ। हनुमान जी ने भैरव को रोकने की कोशिश की,  भैरव नहीं माना, फिर भैरव का युद्ध श्री हनुमान जी से विर लंगूर रूप में हुआ, जब हनुमान जी युद्ध में पस्त होते दिखे, 0तब माता वैष्णो ने महाकाली के रूप में भैरव का वध किया।

भवन और भैरवनाथ मंदिर की दूरी

भवन वह स्थान हैं जहां माता ने भैरवनाथ का वध किया था। प्राचीन गुफा के सक्षम भैरव का शरीर मौजूद है।और उसका सर उड़कर 3 किलोमीटर दूर भैरव घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया। जिस स्थान पर सर गिरा आज उस स्थान को भैरवनाथ के मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है। जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर और भैरव मंदिर तक 14.5 किलोमीटर हैं। मान्यता है कि माता रानी के दर्शन के बाद भैरवनाथ के दर्शन के बिना यात्रा अधूरी मानी जाती हैं।

कब हुआ मंदिर का निर्माण

बताया जाता हैं, कि वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण 700 साल पहले एक ब्राह्मण पुजारी पंडित श्रीधर द्वारा कराया गया था माता रानी सबसे पहले श्रीधर को उनके सपने में दिखी थी। कटरा से लगभग मंदिर की ऊंचाई 5200 फीट पर हैं, जो 12 किलोमीटर की दूरी हैं यहां हर साल लाखों श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं।

क्या है इसकी मान्यता

हिंदू मान्यता के अनुसार वैष्णो देवी मंदिर शक्ति को समर्पित पवित्रम हिंदू मंदिरों में से एक हैं। इस धार्मिक स्थान को माता रानी और वैष्णवी के नाम से भी जाना जाता हैं।‌ यहां माता के दर्शन के लिए हर दिन देश-विदेश से बड़ी मात्रा में लोग आते हैं। गर्मियों में यहां श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती हैं। नवरात्रि के टाइम यहां बहुत भारी भीड़ देखी जाती हैं।

माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग

ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए श्रद्धालुओं को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर श्रद्धालु के तौर पर खुद को रजिस्टर करना होगा। साथ ही यूजर आईडी और पासवर्ड बनाना होगा। अगर आप पहले से ही रजिस्टर हैं, तो आप अपने यूजर नेम और पासवर्ड से लॉगिन करें। ऑनलाइन यात्रा निशुल्क हैं। अगर आप अपना रजिस्ट्रेशन अपने फोन के द्वारा खुद ही पहले से कर लेते हैं, तो वहां आपको ज्यादा फॉर्मेलिटी की जरूरत नहीं होगी, और आपका इससे समय भी बचेगा।

निष्कर्ष

तो ये थी माता वैष्णो देवी मंदिर से जुड़ी पूरी जानकारी. माता वैष्णो देवी के भक्त पूरी दुनिया में है. हर साल लाखो भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए आते है. कुछ श्रद्धालुओं के मन में माता वैष्णो से जुड़ी बहुत सी जिज्ञासा है. हम उम्मीद करते है My Chalisa का हमारा ये लेख आपकी सभी जिज्ञासा को पूरी करेगा. धन्यवाद!!!

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