भारत के चार धाम (Char Dham In India)

दोस्तों, भारत देश में बहुत सारे मंदिर और तीर्थ स्थल है जो दुनियाभर में लोगो की आस्था का केंद्र बने हुए है। लेकिन इनमे से सबसे ज्यादा अगर कोई प्रसिद्ध है तो वो है भारत के चार धाम। जो है बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पूरी, और द्वारिका। इनके दर्शन करने के लिए दुनियाभर से हर साल करोड़ो लोग आते है। 

हमारे पुराणों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति इन चारो धाम के दर्शन करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन चार धाम को चतुर धाम भी कहा जाता है। इन चार धाम में से तीन धाम बद्रीनाथ, द्वारका और पुरी विष्णु के मंदिर हैं, जबकि रामेश्वरम शिव का मंदिर है। 

ये चारो धाम भारत की अलग-अलग दिशा में स्तिथ है। हमारे हिन्दू पुराणों में भगवान विष्णु और भगवान शिव को शास्वत मित्र कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि जहाँ पर भगवान विष्णु निवास करते है उन्ही के पास में ही भगवान शिव भी रहते है। इसीलिए केदारनाथ को बद्रीनाथ की जोड़ी, रंगनाथ स्वामी को रामेश्वरम की, सोमनाथ को द्वारका, लिंगराज को पुरी की जोड़ी के रूप में माना जाता है।

इससे अलग आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत के चार धाम और उत्तराखंड के चार धाम अलग-अलग है। उत्तराखंड के चार धाम के नाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम है। इन्हें छोटा चार धाम के नाम से भी जाना जाता है। 

आज के इस लेख में हम आपको भारत के चार धाम के बारे में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे है। 

1. बद्रीनाथ धाम 

केदारनाथ और बदरीनाथ भारत देश में बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जिनके दर्शन के लिए भक्तजन दूर-सूर से आते है। बद्रीनाथ धाम भारत की उत्तर दिशा में अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है। हिन्दू पुराणों के अनुसार इस पवित्र धाम को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम द्वारा बसाया गया था। यहाँ पर हर साल अचल ज्ञान ज्योति के प्रतिक के रूप में अखंड दीप प्रज्जवलित किया जाता है और नर नारायण की पूजा की जाती है। बद्रीनाथ धाम के कपाट दर्शन के लिए साल में केवल 6 महीने के लिए खुलते है। बाकी 6 महीने बद्रीनाथ बर्फ की चादर में पूरा ढक जाता है। ऐसा माना जाता है कि 6 महीने के लिए भगवान नारायण यहाँ पर विश्राम करने के लिए आते है। 

हर साल बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए लगभग लाखो भक्त आते है जिनके लिए सरकार द्वारा बेहद ही अच्छा इंतजाम किया जाता है ताकि इन्हें यात्रा और दर्शन के समय कोई भी परेशानी न हो। बदरीनाथ का इतिहास आप पुराणों से जान सकते है। कहते है कि पुराने समय में बेर को बद्री कहा जाता था और इस शहर में बद्री के वन होते थे जहाँ पर भगवान नारायण ने तपस्या की थी। इनके बचाव के लिए माता लक्ष्मी ने बद्री पेड़ का रूप लिया था जिसकी वजह से इस शहर का नाम बद्रीनाथ पड़ा। 

बद्रीनाथ के दर्शन के लिए जून और सितम्बर का समय सबसे अच्छा माना गया है क्यूंकि तब यहाँ का मौसम सबसे ठीक होता है। जिसकी वजह से भक्त जन भी बिना किसी कठिनाई के दर्शन कर पाते है। 

बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तो को पैदल यात्रा करनी पड़ती है लेकिन अब सरकार ने भक्तो की सुविधा के लिए हेलीकाप्टर सेवा भी शुरू कर दी है जो सीधा बद्रीनाथ मंदिर पर उतारता है। 

Also See > World Famous Temples in Morena

2. रामेश्वरम धाम

रामेश्वरम धाम भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे बसा हुआ है। इस तीर्थ स्थान के चारो तरफ हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी जैसे बड़े समुन्द्र है। हिन्दू पुराणों के अनुसार जब भगवान राम लंका की चढ़ाई शुरू करने वाले थे तो इससे पहले भगवान राम ने समुन्द्र किनारे भगवान शिव की लिंग रुपी शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा की थी। इसीलिए ये धाम भगवान शिव को समर्पित है। तब से यहाँ पर भगवान शिव की पूजा होती आ रही है। भक्तो की मान्यता के अनुसार रामनाथ स्वामी मंदिर में स्थित अग्नि तीर्थम में नहाने से भक्तो के सभी पाप नष्ट हो जाते है। 

3. जगन्नाथ पुरी धाम  

भारतवर्ष के पूर्व में बसा उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है भगवान कृष्ण को समर्पित किया गया जगन्नाथ मंदिर। भगवान जगन्नाथ भगवान श्री कृष्ण का ही दूसरा नाम है। ये मंदिर वैष्णव संप्रदाय का मंदिर माना जाता है। यहां पर भगवान जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। 

पूरे भारत में केवल यह ही एक ऐसा मंदिर है जिसमे भाई बलभ्रद के साथ-साथ उनकी बहन देवी सुभद्रा की भी पूजा होती है। जगन्नाथ पूरी के मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। करीबन 1 हजार वर्ष पहले ये मंदिर अनंतवर्मन चोदगंग ने राजा तृतीय अनंग भीम देव के साथ मिलकर बनाए थे। 

पुराणों के अनुसार किसी भी मनुष्य की तीर्थ यात्रा पूरी के मंदिर के दर्शन किए बिना पूरी नहीं हो सकती। यह इतनी पवित्र भूमि है जिसकी वजह से पुराणों में इस भूमि को अलग-अलग नामो से पुकारा गया है जैसे नीलाचल, शंख क्षेत्र, निलाद्री, श्रीक्षेत्र, जगनाथ पुरी, पुरूषोत्तम धाम आदि।

हर वर्ष यहां पर रथ यात्रा का आयोजन होता है। इस यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस यात्रा में मंदिर के तीनों देवता अलग-अलग भव्य सुसज्जित रत्नों से विराजमान होकर नगर में यात्रा करते हैं।  

यह त्यौहार जुलाई महीने में आता है। इस महीने में आप इस रथ यात्रा में शामिल होकर देख सकते है कि कैसे इस शहर ने हिन्दू संप्रदाय को संभाला हुआ है। 

4. द्वारका धाम

द्वारका भारत में पश्चिमी दिशा में गुजरात में बसा हुआ है। यह शहर भारत में सबसे पवित्र शहर की लिस्ट में सातवे नंबर पर आता है। जिसमे पहले अयोध्या, पूरी, मथुरा जैसे दूसरे शहर आते है। पुराणों के अनुसार यहाँ पर भगवान कृष्ण ने निवास किया था। 

आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि क्यूंकि ये शहर समुन्द्र के किनारे बसा हुआ है इसीलिए ये लगातार छह बार पूरी तरह से नष्ट हो चूका है और जो अभी आधुनिक शहर आप देखते है, यह सातवी बार बसा है। 

ऐसा कहा जाते है कि कृष्ण के पोते राजा वज्र ने इस मंदिर को सोलहवी शतब्दी में बनाया था। इस मंदिर का नियम है कि दिन में पांच बार मंदिर के ऊपर शीर्ष पर झंडा फेहराया जाएगा। 

भक्तो के दर्शन करने के लिए मंदिर में दो द्वार बनाए गए है जिनका नाम “स्वर्ग द्वार” रखा गया है। निकास द्वार को मोक्ष द्वार का नाम दिया गया है। इस मंदिर का दृश्य बेहद ही मनमोहक है। जब गोमती नदी को समुन्द्र की तरफ बहते हुए देखा जाता है तो ये द्रश्य सबकी आँखों को बेहद ठंडक देता है। द्वारिका मंदिर के अलावा इस शहर में और भी देवी-देवताओं के मंदिर बसे हुए है जैसे देवकी, बलराम, सुभद्रा, देवकी, सत्यभामा देवी, जाम्बवती देवी और रुक्मणी देवी के मंदिर। इस शहर में ही जगत मंदिर भी बसा हुआ है। द्वारिका शहर के पास ही शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी स्तिथ है   

इसके अलावा पुरी, ज्योतिर्मठ और श्रृंगेरी के साथ, द्वारका पीठ भी यही स्तिथ है, जो चार मठों का सदस्य है। इस मंदिर में भगवान की पोशाक कल्याण कोलम है, जो मुख्य रूप से शाही परिवारों की शादी की पोशाक है। 108 दिव्य देशम में से यह एक है।

निष्कर्ष

अगर कोई मनुष्य अपने जीवन में मुक्ति पाना चाहता है तो उसके लिए भारत के चारो धाम की यात्रा करना बेहद जरुरी है। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि जो मनुष्य चारो धाम के दर्शन कर लेता है उसे जीवन-मरन से मुक्ति मिल जाती है। 

2 thoughts on “भारत के चार धाम (Char Dham In India)”

Leave a Comment